शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

ननकउवा के काका



ननकउआ कै काका !
------- सत्येन्द्र श्रीवास्तव














आइ जा घरे ननकउवा काका
दुइनो जनें मिलि हियँइ कमाबै जिन जा तू बहेरे ,


ईंटा गारा कइके एक जूनी खाइ के कर्जा सब उतरे


ननकउवा कै काका


आइ जा घरे ननकउवा कै काका






कहे रह्या कि घर बनवउबे पक्का कुआं खोदउबे


खूब पढ़उबे लड़का बच्चा साहेब सूबा बनउबे


काहे भुलान्या आपन बतिया हमका ना बिसरै ननकउवा कै काका


आइ जा घरे ननकउवा कै काका






का तू कसम उठाया कवनों या पर नारि भुलान्या
जियरा मा तोहरे का एस बसिगा परदेसवा मा समान्या


पइसा रुपइया हिंयऊँ धरा बा भटक्या काहे बरे ननकउवा कै काका


आइ जा घरे ननकउवा कै काका



सोना चाँदी तुहँसे न मँगबै जेस रखब्या तेस रहबे


वापस आवा बलमा घरे का हम त इहै अब कहबै


ना लउट्या जो फगुई ले तो तुँहका किरिया परे ननकउआ के काका !




आई जा घरे ननकउवा के काका

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